संपत्तियों के पंजीकरण में स्टांप चोरी के दो बड़े मामले सामने आए हैं। राजेंद्र नगर में फ्लैटों की रजिस्ट्री और मुकुंद नगर में व्यावसायिक संपत्ति को रिहायशी दर्शाकर लाखों की स्टांप चोरी की गई है। 2017-18 में हुई रजिस्ट्रियों में हुए स्टांप चोरी के इस 'खेल' को लेकर अधिवक्ता विशाल वर्मा ने आईजी स्टांप और प्रमुख सचिव से शिकायत की है। उन्होंने तत्कालीन अधिकारियों पर स्टांप चोरी में फर्जी रिपोर्ट लगाने का आरोप लगाकर जांच की मांग की है।
शिकायतकर्ता अधिवक्ता के मुताबिक, राजेंद्र नगर सेक्टर-3 स्थित एक प्लॉट की सेल डीड वर्ष 2017 में की गई थी। इस पंजीकरण में प्लॉट की पैमाइश भी कम दिखाई गई और निर्माण की जानकारी को भी छिपाया गया। शिकायत तत्कालीन एडीएम वित्त एवं राजस्व के पास पहुंचा तो उन्होंने प्लॉट मालिक को नोटिस भेजा। इसके बाद उनका स्थानांतरण हो गया और नए अधिकारी ने चार्ज संभाला। आरोप है कि 2018 में तत्कालीन एडीएम ने खुद मामले की जांच की और 21 वर्ग मीटर जमीन मौके पर ज्यादा पाई। जांच रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने पाया कि 183 वर्ग मीटर जमीन रजिस्ट्री में दर्शायी गई थी, लेकिन मौके पर 205 वर्ग मीटर थी। 21 वर्ग मीटर जमीन का स्टांप और पेनाल्टी जमा कराकर मामले का निस्तारण कर दिया गया। अधिवक्ता विशाल वर्मा का आरोप है कि पंजीकरण के वक्त वहां 12 फ्लैट बने हुए थे और इनमें से 10 बिक चुके थे। जांच में फ्लैट के निर्माण की बात को छुपाया गया। फ्लैटों की रजिस्ट्री के दस्तावेज भी उन्होंने शिकायत के साथ उच्चाधिकारियों को भेजे हैं।
दूसरा मामला मुकुंद नगर का है। यहां एक व्यावसायिक प्लॉट की रजिस्ट्री दो हिस्सों में रिहायशी भूमि दर्शाकर कराई गई। इस हिस्से की रजिस्ट्री की रैंडम जांच तत्कालीन एआईजी स्टांप मेवालाल पटेल ने की थी। उन्होंने जांच में जमीन को व्यावसायिक पाया और करीब 6.5 लाख की स्टांप चोरी पाई। उन्होंने पेनाल्टी भी लगाई। एडीएम कोर्ट में मामला पहुंचा तो प्लॉट मालिक ने स्टांप ड्यूटी व पेनाल्टी की रकम जमा कराई। इसी प्लॉट के दूसरे हिस्से की जांच तत्कालीन एडीएम ने की। आरोप है कि उन्होंने जांच में प्लॉट के सिर्फ 30 वर्ग मीटर हिस्से को व्यावसायिक माना और बाकी को रिहायशी बताते हुए सिर्फ 1.68 लाख की स्टांप ड्यूटी की कमी दिखाई। पेनाल्टी के साथ प्लॉट मालिक ने इस रकम को भी जमा करा दिया। शिकायतकर्ता अधिवक्ता विशाल वर्मा का कहना है कि जिस प्लॉट को तत्कालीन एडीएम ने आवासीय दिखाया, वह पूरा व्यावसायिक है। उन्होंने अफसरों पर भी स्टांप चोरी करने वालों को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए आईजी स्टांप और प्रमुख सचिव को शिकायत भेजी है। इसकी शिकायत डीएम से भी की गई है।
तत्कालीन अधिकारियों ने स्टांप चोरी को दबाया और गलत जांच रिपोर्ट दी। इसके दस्तावेज उच्चाधिकारियों को भेजकर पुन: जांच कराने की मांग की गई है। दोबारा जांच हुई तो तत्कालीन अधिकारियों की मिलीभगत उजागर हो जाएगी। - विशाल वर्मा, अधिवक्ता व शिकायतकर्ता
जांच में सभी तथ्य देखे गए होंगे। मामला मेरे कार्यकाल से पूर्व है। अभी शिकायत मेरे पास नहीं आई है। शिकायत मिलने पर मामले की जांच करा ली जाएगी। - केके मिश्र, एआईजी स्टांप
शासन से दोबारा जांच कराने के आदेश की जानकारी नहीं है। आदेश मिलेंगे तो निश्चित तौर पर जांच कराई जाएगी और सभी तथ्यों का परीक्षण कराया जाएगा। - अजय शंकर पांडेय, डीएम